पोल खुल गई : असमिया लोक-कथा
एक बार किसी मौलवी को उसके मुरीद ने खाने पर बुलाया। मेजबान के घर पहुँचकर उसकी दहलीज को पार करने के दौरान मौलवी अचानक चिल्लाने लगा-ऐ हट, हट, हट। इस पर घबराए मेजबान ने सहमते हुए मौलवी से पूछा- जनाब, क्या हुआ। आप इस तरह क्यों चिल्ला रहे हैं। मौलवी गंभीरता से बोला- अरे नहीं-नहीं, कुछ नहीं।
मैं मक्का के पाक काबा में घुसते दिखाई दे रहे एक कुत्ते को भगा रहा था। यह सुनकर मेजबान दंग रह गया। वह सोचने लगा कि मौलवी साहब कितने रूहानी ताकत वाले हैं कि वे हजारों मील दूर मक्का तक साफ देख सकते हैं। लेकिन मेजबान की बीवी को यह बात हजम नहीं हुई।
खाना परोसते समय उसने मौलवी की थाली में सालन को चावलों के नीचे छिपा दिया। अगल-बगल में बैठे दूसरे लोगों की थाली में चावल और सालन तथा अपनी थाली में सिर्फ चावल देखकर मौलवी इधर-उधर देखने लगा। बीवी बोली- जनाब, आपको कुछ चाहिए? मौलवी बोला- जी, शायद आप मुझे सालन परोसना भूल गई हैं। वह बोली- अरे, आप तो कोसों दूर मक्का तक देख सकते हैं, ध्यान से देखिए, सालन आपकी थाली में ही चावलों के नीचे है।
इस तरह चतुराई से मेजबान की बीवी ने मौलवी की पोल खोल दी।
shweta soni
31-Jul-2022 06:01 PM
Bahut achhi rachana
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Farhat
25-Nov-2021 02:57 AM
Good
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